Edited By Pardeep,Updated: 29 Nov, 2024 11:01 PM
अपहरण के बाद परिवार से 31 साल तक दूर रहने वाला राजू अपने परिजनों से मिलकर खुशी से गदगद है और शुक्रवार को अपनी बहन के हाथ का बना पूरा भोजन किया, जबकि अपहरणकर्ता उसे सुबह और शाम केवल एक रोटी और एक कप चाय देता था।
नेशनल डेस्कः अपहरण के बाद परिवार से 31 साल तक दूर रहने वाला राजू अपने परिजनों से मिलकर खुशी से गदगद है और शुक्रवार को अपनी बहन के हाथ का बना पूरा भोजन किया, जबकि अपहरणकर्ता उसे सुबह और शाम केवल एक रोटी और एक कप चाय देता था। राजू का सितंबर, 1993 में जब अपहरण किया गया, उसकी उम्र मात्र सात साल थी और वह शहीद नगर के दीनबंधु पब्लिक स्कूल में यूकेजी में पढ़ता था। प्रतिदिन उत्पीड़न की वजह से अब वह ककहरा तक नहीं पढ़ सकता।
राजू के पिता तुलाराम ने इच्छा जताई कि वह अपने बेटे के लिए एक ट्यूटर लगाएंगे ताकि वह लिख पढ़ सके क्योंकि 38 साल की उम्र में राजू पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं जा सकता। तुलाराम ने कहा, “उसे (राजू) लेबर का काम मिल सकता है जो मुझे पसंद नहीं है। शहीद नगर में मेरी खुद की आटा चक्की है। वह पूरा आराम करने के बाद मेरे साथ बैठेगा।” एक अप्रत्याशित घटना में गाजियाबाद से 30 साल पहले अपहरण का शिकार हुआ सात साल का बच्चा अपने परिवार से मिल गया है। राजू ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि अपहरण के बाद उसे एक ट्रक ड्राइवर को सौंप दिया गया जो उसे राजस्थान के जैसलमेर ले गया।
उन्होंने कहा, “अपहरकर्ताओं ने मुझे एक बंजर इलाके के बीच स्थित एक कमरे में रखा जहां मुझसे जबरदस्ती भेड़ बकरियों को चराया जाता था। हर रात मुझे बांध कर उस कमरे में कैद कर दिया जाता था।” राजू के पिता तुलाराम के मुताबिक, “अपहरण की घटना तब हुई जब राजू अपनी बहन के साथ साहिबाबाद में दीनबंधु पब्लिक स्कूल से घर लौट रहा था। अपनी बहन से कहासुनी होने के बाद राजू सड़क किनारे बैठ गया जहां एक टेंपो में तीन लोग आए और उसे उठा ले गए।”
दिल्ली सरकार में सेवा दे चुके तुलाराम ने कहा कि पिछले दो दिनों से रिश्तेदार और पड़ोसी राजू से मिलने आ रहे हैं। स्कूल के रजिस्टर में उसका मूल नाम भीम के तौर पर पंजीकृत था लेकिन उसका घर का नाम पन्नू और राजू था। राजू की मां और बहनें उसे लाड़ प्यार दे रही हैं और उसके लिए स्वादिष्ट भोजन बना रही हैं। उन्होंने कहा, “जब राजू पूरी तरह से आराम कर लेगा और सामान्य मानसिक स्थित में लौट आएगा, तब हम उसका ब्याह करने के लिए लड़की तलाशेंगे।”
डीसीपी (हिंडन पार) निमिश पाटिल ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने इस मामले को दोबारा खोलने के लिए 31 साल पुराने दस्तावेज खोजे और पुलिस की टीम जैसलमेर जाएगी जहां राजू को 31 वर्षों तक रखा गया और अपहरणकर्ताओं को पकड़ेगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेगी। उल्लेखनीय है कि साहिबाबाद थाना में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भारी खोजबीन के बावजूद पुलिस राजू को बरामद नहीं कर सकी।
बाद में तुलाराम को आठ लाख रुपये फिरौती की मांग वाला एक पत्र प्राप्त हुआ, लेकिन यह रकम देने में असमर्थ तुलाराम ने इस मामले को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया और जांच अंततः ठंडे बस्ते में चली गई। तीन दशकों तक तुलाराम ने अपने बेटे के भाग्य को लेकर अनिश्चितता में जीवन जिया, लेकिन 27 नवंबर को राजू के घर वापस लौटने के साथ इस परिवार में खुशियां वापस लौटीं। राजू की मां और बहनें उसके सीने पर एक तिल और सिर में एक गड्ढा देखकर उसकी पहचान कर सकीं।