Edited By Harman Kaur,Updated: 27 Feb, 2025 03:29 PM
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के सर्जन एक अभूतपूर्व सर्जिकल केस में सफल रहे हैं। उन्होंने उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के 17 वर्षीय युवक से उसके परजीवी जुड़वां भाई के अवशेषों को निकालने में सफलता हासिल की। इस युवक के शरीर में एक अविकसित...
नेशनल डेस्क: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के सर्जन एक अभूतपूर्व सर्जिकल केस में सफल रहे हैं। उन्होंने उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के 17 वर्षीय युवक से उसके परजीवी जुड़वां भाई के अवशेषों को निकालने में सफलता हासिल की। इस युवक के शरीर में एक अविकसित जुड़वां भाई था, जिसकी एक जोड़ी पैर और अविकसित पुरुष जननांग युवक के धड़ से बाहर निकले हुए थे। यह जन्मजात समस्या थी, जिससे युवक को 17 वर्षों तक परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
जटिल सर्जरी
युवक के शरीर में जुड़वां भाई के अविकसित अवशेष होने के कारण उसकी जीवनशैली में कई कठिनाइयां थीं। इसके कारण युवक को शारीरिक और मानसिक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता था और उसकी पढ़ाई भी आठवीं कक्षा में ही छूट गई थी। ऐसे मामलों में सर्जरी एक कठिन चुनौती होती है, क्योंकि इसमें नसों का जाल और अंगों को अलग करने की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है। इस मामले में, एम्स के सर्जनों को छाती की दीवार, आंतों और किडनी के पास के टिशूज को अलग करना था। इस विशेष सर्जरी में युवक के अविकसित अंग न केवल बाहर निकले थे, बल्कि उनमें स्पर्श और दर्द का अहसास भी होता थाऔर समय के साथ यह अंग बढ़ते जा रहे थे। इनमें अविकसित पुरुष जननांग भी शामिल थे, जो युवक के लिए एक मानसिक चुनौती बन गए थे।
सफल ऑपरेशन
एम्स के डॉक्टरों की एक टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को आठ फरवरी 2024 को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह सर्जरी विशेष रूप से महत्वपूर्ण और दुर्लभ मानी जा रही है, क्योंकि दुनिया में इस तरह के केवल 40 मामले ही सामने आए हैं। इस प्रकार के ऑपरेशन में एक जुड़वां भाई विकसित हो जाता है, जबकि दूसरा अविकसित रहता है और शरीर में अलग तरह की जटिलताएं पैदा करता है। अब, युवक को एक नया जीवन मिला है और वह शारीरिक और मानसिक रूप से पहले से अधिक स्वतंत्र महसूस कर रहा है। उसे अब न केवल अपनी जिंदगी में एक नया मौका मिला है, बल्कि उसकी आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी हुई है।