हैवानियत... नाबालिग बच्चों के प्राइवेट पार्ट पर लगाया झंडु बाम, कपड़े उतारकर पीटा,अब आरोपी को कोर्ट ने दी जमानत

Edited By Mahima,Updated: 25 Jun, 2024 10:02 AM

zandu balm was applied on the private parts of minor children

महाराष्ट्र के पुणे में तीन नाबालिग बच्चों के यौन उत्पीड़न और उनके प्राइवेट पार्ट में झंडु बाम लगाने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 33 वर्षीय आरोपी कपिल टाक को जमानत दे दी है। आरोपी पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर नाबालिग लड़कों का उत्पीड़न करने और...

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे में तीन नाबालिग बच्चों के यौन उत्पीड़न और उनके प्राइवेट पार्ट में झंडु बाम लगाने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 33 वर्षीय आरोपी कपिल टाक को जमानत दे दी है। आरोपी पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर नाबालिग लड़कों का उत्पीड़न करने और उसका वीडियो बनाने का आरोप था। 

जमानत का फैसला
जस्टिस अनिल किलोर की पीठ ने आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद उसे जमानत देने का आदेश दिया। अदालत ने यह पाया कि आरोपी की कोई यौन इच्छा नहीं थी और पीड़ितों को शारीरिक और मानसिक यातना इसलिए दी गई क्योंकि आरोपियों को लगा कि वे लड़के चोर थे।

मामले की पृष्ठभूमि
कपिल टाक को 2021 में अप्राकृतिक अपराध, हमले और आपराधिक धमकी के आरोप में POCSO एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर तीन नाबालिग लड़कों को निर्वस्त्र करने, चमड़े की बेल्ट से पीटने और उनके प्राइवेट पार्ट में झंडु बाम लगाने का आरोप था। इसके अलावा, घटना को मोबाइल फोन पर शूट करने का भी आरोप था।

पीड़ितों की मां ने दर्ज कराई थी शिकायत
शिकायत पीड़ित बच्चों में से एक की मां ने अप्रैल 2021 में दर्ज कराई थी। महिला ने कुछ लोगों को एक वीडियो देखते हुए देखा था जिसमें कुछ नाबालिग लड़कों के साथ मारपीट की जा रही थी और उनके निजी अंगों के साथ छेड़छाड़ हो रही थी। उन्होंने वीडियो में अपने बेटे को पहचाना और तुरंत शिकायत दर्ज कराई।

जमानत के तर्क
टाक की वकील सना रईस खान ने तर्क दिया कि POCSO एक्ट के प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होंगे क्योंकि आरोपी का कोई यौन इरादा नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि टाक 2021 से जेल में बंद है और मामले में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। इस पर, हाई कोर्ट ने एफआईआर और अन्य साक्ष्यों की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया कि आरोपियों का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक यातना देना था, न कि यौन उत्पीड़न करना। इस आधार पर, अदालत ने कपिल टाक को जमानत देने का आदेश दिया।
 

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