Vyasa Purnima- आखिर क्यों, ऋषि वेदव्यास ने क्यों किया वेदों का विभाजन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Jul, 2024 11:15 AM

rishi ved vyas did the division of the vedas

ऋषि वेदव्यास महाभारत के रचयिता हैं। कहते हैं कि प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों की प्रस्तुति एवं उनका प्रचार-प्रसार करते हैं।

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Vyasa Purnima 2024: ऋषि वेदव्यास महाभारत के रचयिता हैं। कहते हैं कि प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों की प्रस्तुति एवं उनका प्रचार-प्रसार करते हैं। पहले द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे में शुक्राचार्य, चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार इस श्रृंखला में अट्ठाइस वेदव्यास हुए जिनमें से कुछ मुख्य ये हैं- सूर्य, मृत्यु, इंद्र, धनंजय, कृष्ण, द्वैपायन, अश्वत्थामा आदि।

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इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विभाजन किया गया और इन्होंने ही अठारह पुराणों की रचना की। सृष्टि के प्रारंभ में वेद अविभक्त तथा एक लाख मंत्र वाला था। अट्ठाइसवें द्वापर में वेदव्यास ने अपने पूर्व के वेदव्यासों के अनुरूप ही चार भागों में संयुक्त वेद को विभक्त किया। इनके अध्ययन के लिए चार विद्वान शिष्यों को दीक्षित किया गया एवं पेल को ऋग्वेद, वैशम्पायन को यजुर्वेद, जैमिनी को सामवेद तथा सुमन्तु को अथर्ववेद का ज्ञाता बनाया।

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शास्त्रों के अनुसार ऋषि त्रिकालदर्शी थे और इन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर जान लिया था कि कलयुग में धर्म क्षीण हो जाएगा धर्म क्षीण होने के कारण मनुष्य नास्तिक, कर्तव्यहीन और अल्पायु हो जाएगा। एक विशाल वेद का सांगोपांग अध्ययन उनके सामर्थ्य से बाहर हो जाएगा। इसलिए वेदव्यास ने वेदों को चार भागों में विभाजित कर दिया ताकि कम बुद्धि एवं कम स्मरण शक्ति रखने वाले भी वेदों का अध्ययन कर सकें। वेदों का विभाजन करने के कारण ही इन्हें वेदव्यास कहा गया।

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