Edited By Mahima,Updated: 26 Dec, 2024 12:33 PM
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सबसे ज्यादा चंदा मिला, कुल 2,244 करोड़ रुपये। कांग्रेस को 288.9 करोड़ रुपये मिले, जो कि पिछले साल से ज्यादा हैं, लेकिन बीजेपी से आठ गुना कम। अन्य क्षेत्रीय दलों को भी चंदा मिला...
नेशनल डेस्क: 2024 का चुनावी साल भारतीय राजनीति में कई बड़े बदलाव लेकर आया। इस दौरान विभिन्न चुनावों में उम्मीद से विपरीत परिणाम सामने आए, जिससे राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए चुनावी चंदे का सहारा लिया। चुनाव आयोग की ताज़ा रिपोर्ट से यह साफ हुआ कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस साल सबसे अधिक चंदा हासिल किया है, जबकि कांग्रेस और अन्य दलों के मुकाबले उसकी चंदे की राशि कहीं ज्यादा रही। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि किन पार्टियों को कितनी राशि मिली और यह पैसे कहाँ से आए।
चुनाव आयोग की रिपोर्ट
चुनाव आयोग ने 2023-24 के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त किए गए चंदे की पूरी जानकारी जारी की है। इस रिपोर्ट में एक बात जो सबसे ज़्यादा ध्यान खींचती है, वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इस बार भारी चंदा मिला है। बीजेपी ने इस दौरान कुल 2,244 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया, जो कि पिछले साल के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। वहीं, कांग्रेस पार्टी को 288.9 करोड़ रुपये का चंदा मिला है, जो कि पिछले साल की तुलना में एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी है।
बीजेपी को मिला सबसे ज्यादा चंदा
2023-24 के दौरान बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चंदा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से आया, जिसने पार्टी को 723.6 करोड़ रुपये का योगदान दिया। यह ट्रस्ट, जो कि एक गैर-लाभकारी संस्था है, प्रमुख कंपनियों से चंदे की प्राप्ति का माध्यम बनता है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट में योगदान देने वाली कंपनियों में सीरम इंस्टीट्यूट, मित्तल ग्रुप, भारती एयरटेल जैसी प्रमुख कंपनियाँ शामिल हैं, जिनका भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव है। इसके अलावा बीजेपी को अन्य कॉर्पोरेट हाउसेज़ और व्यक्तिगत ट्रस्टों से भी चंदा प्राप्त हुआ है।
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बढ़त लेकिन बीजेपी से आठ गुना कम
2023-24 में कांग्रेस पार्टी को 288.9 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो कि पिछले साल 79.9 करोड़ रुपये था। यद्यपि कांग्रेस के चंदे में वृद्धि हुई है, फिर भी वह बीजेपी से आठ गुना कम है। कांग्रेस को भी एक बड़ा हिस्सा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से मिला, जो कुल मिलाकर 156.4 करोड़ रुपये रहा। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि कांग्रेस ने भी अपनी चंदा प्राप्ति में वृद्धि की है, लेकिन बीजेपी के मुकाबले वह काफी पीछे है।
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अन्य प्रमुख दलों को कितना चंदा मिला?
चुनाव आयोग की रिपोर्ट में अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों के चंदे की भी जानकारी दी गई है।
- बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति): तेलंगाना की प्रमुख पार्टी बीआरएस को 495.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो इस साल का एक बड़ा आंकड़ा है।
- वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP): आंध्र प्रदेश की प्रमुख पार्टी को 121.5 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ।
- डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कषगम): तमिलनाडु की प्रमुख पार्टी को 60 करोड़ रुपये मिले।
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM): झारखंड की क्षेत्रीय पार्टी को 11.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
- आम आदमी पार्टी (AAP): आम आदमी पार्टी को 11.1 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो पिछले साल 37.1 करोड़ रुपये से कम है। इससे साफ होता है कि आम आदमी पार्टी को चंदे में गिरावट आई है।
- तृणमूल कांग्रेस (TMC): पश्चिम बंगाल की पार्टी को केवल 6 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
- बहुजन समाज पार्टी (BSP): इस बार बीएसपी को सिर्फ 20,000 रुपये का चंदा प्राप्त हुआ, जो कि एक बहुत ही कम राशि है और यह पार्टी की चंदा प्राप्ति में गंभीर गिरावट को दर्शाता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड और ट्रस्ट रूट
2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था, जिसके बाद राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए डायरेक्ट ट्रांसफर या इलेक्टोरल ट्रस्ट रूट का सहारा लिया जा रहा है। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के रद्द होने के बाद राजनीतिक चंदा एक नया मोड़ ले चुका है, और पार्टियां अब पारदर्शी तरीके से चंदा प्राप्त करने की ओर बढ़ रही हैं। इस बदलाव के कारण राजनीतिक दलों को चंदा देने के नए तरीके अपनाने पड़े हैं, जो ज्यादा नियंत्रित और स्पष्ट हैं।
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चंदे में वृद्धि का कारण क्या है?
2023-24 के दौरान बीजेपी को मिलने वाला चंदा पिछले साल के मुकाबले 212% बढ़ा है। यह वृद्धि बीजेपी की बढ़ती राजनीतिक ताकत और प्रभाव को दर्शाती है। 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी को भारी चंदा मिला था, जो कि 742 करोड़ रुपये था, और अब यह राशि बढ़कर 2,244 करोड़ रुपये हो गई है। यह बीजेपी की आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान करता है, जो आगामी चुनावों में पार्टी की चुनावी रणनीतियों में सहायक होगा।
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क्षेत्रीय दलों की स्थिति
क्षेत्रीय दलों का चंदा हालांकि बीजेपी और कांग्रेस के मुकाबले काफी कम रहा है, लेकिन इन पार्टियों को भी जरूरी फंडिंग प्राप्त हुई है। बीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस जैसे क्षेत्रीय दलों को पर्याप्त चंदा प्राप्त हुआ है, जो उनके चुनावी अभियान और जनाधार को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। लेकिन अन्य क्षेत्रीय दलों जैसे कि डीएमके, TMC, और AAP को अपेक्षाकृत कम चंदा मिला है, जो उनके राजनीतिक प्रभाव के बारे में कुछ सवाल खड़ा करता है।
इस रिपोर्ट के जरिए यह साफ है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे अमीर राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी है। बीजेपी ने चुनावी चंदे में महत्वपूर्ण वृद्धि हासिल की है, जो उसकी चुनावी तैयारियों और संसाधनों को सुदृढ़ बनाने में मदद करेगा। वहीं, कांग्रेस, जो अब तक बीजेपी के मुकाबले कमजोर दिख रही थी, उसने भी अपनी चंदा प्राप्ति में वृद्धि की है, लेकिन वह बीजेपी से काफी पीछे है। अन्य दलों की चंदे में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन बीजेपी की तुलना में उनके पास उतना संसाधन नहीं है। इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में चुनावी चंदा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसका असर चुनावों पर साफ दिखाई देता है। अब देखना यह होगा कि इन संसाधनों का उपयोग पार्टियाँ किस प्रकार अपनी चुनावी रणनीतियों में करती हैं और इसका प्रभाव आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर कैसा पड़ता है।