Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Mar, 2025 03:07 PM

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने एक नई और प्रभावशाली रणनीति अपनाई है। पार्टी अब देश भर में फैले गैर-निवासी बिहारियों (NRB) को लक्षित करने की योजना बना रही है। भाजपा के अनुमान के मुताबिक, लगभग 20 मिलियन बिहारी राज्य से बाहर रह रहे हैं
नेशनल डेस्क: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने एक नई और प्रभावशाली रणनीति अपनाई है। पार्टी अब देश भर में फैले गैर-निवासी बिहारियों (NRB) को लक्षित करने की योजना बना रही है। भाजपा के अनुमान के मुताबिक, लगभग 20 मिलियन बिहारी राज्य से बाहर रह रहे हैं, जिनमें से करीब 65% लोग बिहार के मतदाता हैं। इसका मतलब है कि भाजपा के पास करीब 13 मिलियन संभावित वोटर हैं, जिनका प्रभाव बिहार के चुनाव परिणामों पर महत्वपूर्ण हो सकता है। भाजपा ने इस बात का विश्लेषण किया है कि बिहार से बाहर रह रहे अधिकांश बिहारी पार्टी के समर्थक हैं। पार्टी की कोशिश है कि इन बिहारियों को मतदान में शामिल किया जाए, ताकि राज्य में एनडीए को और भी मजबूती मिले। पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में एनडीए को करीब 15.7 मिलियन वोट मिले थे, जबकि महागठबंधन को 15.6 मिलियन वोट ही मिल पाए थे। भाजपा का मानना है कि अगर वह इस बार गैर-निवासी बिहारियों को अपने पक्ष में ला पाई तो वोटों की संख्या में एक बड़ा इज़ाफा हो सकता है, जो चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है।
विरोध और विवाद
भाजपा की इस योजना पर कुछ विरोध भी उठने लगे हैं। रायजोर दल ने इसे भाजपा की वोट बैंक राजनीति से जुड़ा कदम बताते हुए इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम बिहार के बाहर रहने वाले लोगों को आकर्षित करने के बजाय, केवल वोटों की राजनीति का हिस्सा हैं। वहीं, असम में स्थित उग्रवादी संगठन उल्फा-इंडिपेंडेंट ने भी 22 मार्च को होने वाले 'बिहार दिवस' कार्यक्रम के खिलाफ चेतावनी दी है। संगठन का कहना है कि यह असम की मूल संस्कृति पर हमला है, और यदि यह कार्यक्रम रद्द नहीं हुआ तो वे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देंगे।
बिहार दिवस पर एक नई पहल
भाजपा ने अपनी रणनीति के पहले चरण के रूप में 23 मार्च से शुरू होने वाले 'बिहार दिवस' कार्यक्रम की घोषणा की है। पार्टी इस दिन देश के 65 स्थानों पर बिहार दिवस मनाएगी। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य भाजपा नेता इस सप्ताह भर चलने वाले समारोहों में शामिल होंगे। इन समारोहों का मुख्य उद्देश्य गैर-निवासी बिहारियों से संपर्क स्थापित करना और उन्हें मतदान के लिए प्रोत्साहित करना है।
भाजपा का यह कार्यक्रम सिर्फ बिहारियों को पहचानने तक सीमित नहीं होगा, बल्कि पार्टी के नेताओं का उद्देश्य इन्हें छोटे समूहों में मिलाकर संपर्क मजबूत करना है। इस दौरान, लोगों को बिहार में अपने परिवारों से जुड़ने और अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य में एक विशेष संपर्क सूत्र से इन्हें लगातार जोड़कर वोटिंग प्रक्रिया के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा का यह कदम चुनावी फायदा उठाने के लिए एक नई चाल है। कांग्रेस और रायजोर दल जैसे दल इस कदम को राजनीतिक फायदे का साधन मानते हैं, जिसे पार्टी अपनी चुनावी जीत के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। हालांकि, भाजपा का तर्क है कि वह सिर्फ बिहारियों को राज्य की राजनीति में हिस्सा लेने और अपने वोट का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रही है।