Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 23 Mar, 2025 02:59 PM

मध्यप्रदेश का सूखा करार गांव एक ऐसी जगह है जहां महिलाओं के जीवन की सबसे काली सच्चाई सामने आई है। यहां आज भी कई परिवारों के पुरुष अपनी बेटियों और बहनों को वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेलने का काम कर रहे हैं। इस गांव की गहरी कुरीति न केवल महिलाओं की...
नेशनल डेस्क: मध्यप्रदेश का सूखा करार गांव एक ऐसी जगह है जहां महिलाओं के जीवन की सबसे काली सच्चाई सामने आई है। यहां आज भी कई परिवारों के पुरुष अपनी बेटियों और बहनों को वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेलने का काम कर रहे हैं। इस गांव की गहरी कुरीति न केवल महिलाओं की इज्जत को शर्मसार कर रही है, बल्कि इस पूरे समुदाय के लिए एक काला धब्बा बन चुकी है। यह गांव विदिशा और रायसेन जिले के नजदीक स्थित है, और सांची स्तूप से लगभग 15-20 मिनट की दूरी पर है। विदिशा से यहां पहुंचने में 30-40 मिनट का समय लगता है और भोपाल से यह गांव लगभग 55 किलोमीटर दूर है। इस गांव की आबादी करीब डेढ़ हजार है और यहां के अधिकांश लोग बेड़िया जाति के हैं। यह गांव पहले कभी शांतिपूर्ण हुआ करता था लेकिन अब यहां की स्थिति कुछ और ही है।
सूखा करार गांव में आज भी महिलाएं घर की सीमाओं के भीतर नहीं, बल्कि सड़कों पर अपने शरीर को बेचने के लिए मजबूर हैं। यहां के पुरुष नशे की हालत में होते हैं और अपने घर की महिलाओं के लिए ग्राहक ढूंढने का काम करते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि यह एक आसान तरीका है अपने परिवार की आजीविका चलाने का। इन पुरुषों द्वारा घरों के बाहर कुर्सी लगाकर ग्राहक बुलाने की प्रक्रिया सरेआम होती है।
परिवार के पुरुषों का काला धंधा
गांव के पिता और भाई किसी ग्राहक को ढूंढने में व्यस्त रहते हैं, और महिलाएं सड़कों पर खड़ी होकर ग्राहकों का इंतजार करती हैं। यह स्थिति किसी फिल्म के सीन जैसी नहीं, बल्कि एक कठोर और दयनीय वास्तविकता है। इन परिवारों के पुरुषों का काम सिर्फ अपने घर की बहनों और बेटियों को एक वस्तु की तरह बेचने का रह गया है। और तो और, यहां तक कि गांव के किराना दुकान वाले भी असल में इस धंधे में शामिल होते हैं।
सड़क पर खड़ी महिलाएं और उनके दर्दनाक संघर्ष
यहां की महिलाएं केवल अपने जीवन की बेहतर स्थिति के लिए संघर्ष नहीं कर रही हैं, बल्कि वे समाज और परिवार के चंगुल से बाहर निकलने के लिए भी जद्दोजहद कर रही हैं। किसी महिला के लिए एक बेहतर जीवन की चाहत, यहां एक बेमानी सपना बन चुकी है। नशे के साए में बसी इस गांव में एक और कड़वा सच यह है कि यहां की अधिकांश महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से बुरी तरह से टूट चुकी हैं।