Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 17 Jan, 2025 06:55 PM
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गंभीर घटनाओं में शामिल उन अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए, जो लंबे समय से देश से फरार हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन मामलों में आरोपी की अनुपस्थिति में ही...
नेशनल डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गंभीर घटनाओं में शामिल उन अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए, जो लंबे समय से देश से फरार हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन मामलों में आरोपी की अनुपस्थिति में ही अदालतों को कार्रवाई करनी चाहिए। शाह ने मध्य प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में यह मुद्दा उठाया, जिसमें नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि गरीबों को उचित कानूनी सहायता मिले और इसके लिए एक मजबूत कानूनी सहायता प्रणाली स्थापित की जाए। साथ ही, उन्होंने कहा कि उन न्यायाधिकारियों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है, जो वंचित वर्गों को न्याय दिलाने में मदद कर सकें।
नए आपराधिक कानूनों की अहमियत क्या है?
केंद्रीय गृह मंत्री ने हाल ही में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों—भारतीय न्याय संहिता (IPC), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CPC), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act)—के महत्व पर भी जोर दिया। इन कानूनों का उद्देश्य है कि अपराधियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की जाए और तीन साल के भीतर न्याय प्राप्त हो। इन नए कानूनों से औपनिवेशिक युग के पुराने कानूनों को बदलने का काम किया गया है। अमित शाह ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने इन नए कानूनों को लागू करने में अब तक जो प्रयास किए हैं, उसकी सराहना की गई है, लेकिन इनका 100 प्रतिशत कार्यान्वयन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए।
महत्वपूर्ण निर्देश और सुझाव दिए
गृह मंत्री ने बैठक में यह भी सुझाव दिया कि आतंकवाद और संगठित अपराध से जुड़े मामलों की गंभीरता को देखते हुए, इन मामलों की समीक्षा करने के बाद ही उचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा कि इन कानूनों का कोई भी दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, जिससे कि कानून की शुचिता बनी रहे।
इसके अलावा, शाह ने ‘जीरो एफआईआर’ को नियमित प्राथमिकी में बदलने और राज्य के बीच प्राथमिकियों के हस्तांतरण के लिए एक मजबूत ट्रैकिंग सिस्टम स्थापित करने की बात की। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस विभाग को इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड के माध्यम से गिरफ्तार व्यक्तियों की जानकारी को सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि मामले की स्थिति पर निगरानी रखी जा सके।
फॉरेंसिक विज्ञान और संवेदनशीलता का महत्व क्या है?
शाह ने पुलिस अधिकारियों से फॉरेंसिक विज्ञान में विशेषज्ञता रखने वाले कर्मचारियों की भर्ती पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) करने की सलाह दी।
न्याय के लिए निरंतर निगरानी और कार्यान्वयन कैसे?
अमित शाह ने यह भी सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को हर माह, हर 15 दिन और हर सप्ताह तीनों नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने पुलिस अधिकारियों को इस बात के लिए प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया कि समय पर न्याय दिलाना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।