Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Mar, 2025 01:18 PM

ओडिशा के मयूरभंज जिले के मोरडा ब्लॉक के बलदिया गांव की 65 वर्षीय विधवा महिला मंद सोरेन की कहानी दिल को छूने वाली है। जिंदगी की मुश्किलों का सामना करते हुए, मंद सोरेन ने अपने पोते को सिर्फ 200 रुपये में बेचने का दर्दनाक कदम उठाया।
नेशनल डेस्क: ओडिशा के मयूरभंज जिले के मोरडा ब्लॉक के बलदिया गांव की 65 वर्षीय विधवा महिला मंद सोरेन की कहानी दिल को छूने वाली है। जिंदगी की मुश्किलों का सामना करते हुए, मंद सोरेन ने अपने पोते को सिर्फ 200 रुपये में बेचने का दर्दनाक कदम उठाया। उनकी यह कड़ी हालत यह दर्शाती है कि कई बार इंसान अपनी मजबूरी के कारण क्या-क्या कदम उठा सकता है। मंद सोरेन का जीवन कई दुखों से भरा हुआ है। उनके पास न घर था, न ही जमीन, और न ही कोई सरकारी सहायता। उनके पति का पहले ही निधन हो चुका था और उनका बेटा कहीं चला गया था। सबसे बड़ी मुसीबत तब आई जब कोरोना महामारी के दौरान उनकी बहू की भी मौत हो गई। इन सभी घटनाओं के बाद मंद सोरेन अपने 7 साल के पोते के साथ रायपाल गांव में अपनी बहन के घर रहने लगी थीं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनकी स्थिति और भी खराब होती गई, और उन्हें अपनी और अपने पोते की देखभाल के लिए भीख मांगने की नौबत आ गई।
पढ़ाई के लिए पोते को बेचने का दर्दनाक फैसला
मंद सोरेन का कहना था कि उन्होंने अपने पोते को बेचा नहीं, बल्कि उसे एक दंपति को सौंपा था ताकि उसे अच्छा माहौल मिल सके और उसकी पढ़ाई-लिखाई भी हो सके। मंद सोरेन का कहना था कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वे अपने पोते की उचित देखभाल नहीं कर पा रही थीं, इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया।
बाल संरक्षण विभाग की प्रतिक्रिया
मामला सामने आते ही, बाल संरक्षण विभाग की अधिकारी रासगोविंदपुर गांव पहुंची और वहां यह जानकारी ली कि महिला अपने पोते को एक दंपति को सौंप चुकी थी। उन्होंने बताया कि महिला ने यह कदम पोते के भले के लिए उठाया था ताकि वह बेहतर तरीके से रह सके। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बच्चे को अब बाल संरक्षण समिति के सामने पेश किया जाएगा और उसकी देखभाल की व्यवस्था की जाएगी।
प्रशासन की मदद से बालक को बचाया गया
स्थानीय पंचायत समिति के सदस्य को इस मामले की जानकारी मिली, और उन्होंने प्रशासन को सूचित किया। इसके बाद रासगोविंदपुर पुलिस एक्टिव हुई और बच्चे को थाने लेकर आई। बाल संरक्षण विभाग के अधिकारी और रासगोविंदपुर की CDPO (Child Development Project Officer) महिला को थाने से सरकारी संरक्षण में लेकर गईं, जहां अब बच्चे की देखभाल की जाएगी।
दादी के लिए पेंशन और आवास की मांग
अब मंद सोरेन के लिए भी सरकारी मदद की मांग उठाई जा रही है। स्थानीय लोग और अधिकारियों ने उनकी पेंशन और सरकारी आवास की मांग की है ताकि वह अपनी बुजुर्ग अवस्था में आराम से जीवन जी सकें। उनकी हालत को देखते हुए यह कदम उठाना जरूरी है ताकि वह आगे भी अपने जीवन को ठीक से जी सकें।