Edited By Pardeep,Updated: 27 Jan, 2025 06:18 AM
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कहा कि प्रदेश में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी जाएगी और इसके साथ ही यह भारत का पहला राज्य होगा, जहां यह कानून प्रभावी होगा।
नेशनल डेस्कः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कहा कि प्रदेश में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी जाएगी और इसके साथ ही यह भारत का पहला राज्य होगा, जहां यह कानून प्रभावी होगा। मुख्यमंत्री ने यहां शनिवार शाम जारी एक बयान में कहा, “यूसीसी लागू करने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, जिसमें अधिनियम की नियमावली को मंजूरी और संबंधित अधिकारियों का प्रशिक्षण शामिल है।” उन्होंने कहा कि यूसीसी से समाज में एकरूपता आएगी और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और दायित्व सुनिश्चित होंगे।
धामी ने कहा, “यूसीसी प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।”
उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा किए गए प्रमुख वादों में से एक था। मार्च में दोबारा सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूसीसी प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन पर मुहर लगा दी गई थी। उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, जिसने लगभग डेढ़ वर्ष में विभिन्न वर्गों से बातचीत के आधार पर चार खंडों में तैयार अपनी विस्तृत रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को राज्य सरकार को सौंपी।
रिपोर्ट के आधार पर सात फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी विधेयक पारित कर दिया गया और उसके एक माह बाद 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने भी उसे अपनी मंजूरी दे दी। यूसीसी अधिनियम बनने के बाद पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गठित की गयी एक समिति ने इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली तैयार की जिसे हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी।
सोमवार को यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड ऐसा कराने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा। असम सहित देश के कई राज्य उत्तराखंड के यूसीसी अधिनियम को एक मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। उत्तराखंड यूसीसी विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध तथा इनसे संबंधित अन्य विषयों को नियंत्रित और नियमित करेगा। यूसीसी में सभी धर्मों में पुरुषों और महिलाओं के लिए समान विवाह योग्य आयु, तलाक के आधार और प्रक्रियाएं निर्धारित की गईं हैं जबकि बहुविवाह और ‘हलाला' पर प्रतिबंध लगाया गया है।
यूसीसी का मसौदा तैयार करने वाली तथा अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए नियमावली बनाने वाली समितियों का हिस्सा रहीं दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल ने विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में लैंगिक समानता लाने और विवाह एवं अमान्य विवाहों तथा सहवासी संबंधों से जन्मे सभी बच्चों को समान मानने वाले प्रावधानों तथा वसीयत तैयार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने की प्रक्रिया को उत्कर्ष प्रावधान बताया। उन्होंने कहा, “सभी धर्मों में लैंगिक समानता यूसीसी की मूल भावना है।”
डंगवाल ने कहा कि यूसीसी के तहत सभी विवाहों और सहवासी संबंधों का पंजीकरण अनिवार्य बनाया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी शादियों को ऑनलाइन पंजीकृत करने में मदद करने के लिए व्यवस्था बनाई गई हैं ताकि उन्हें इसके लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने कहा, “यूसीसी की एक और उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसमें नाजायज शब्द को पूरी तरह से हटा दिया गया है।” डंगवाल ने कहा कि यूसीसी में सैनिकों के लिए भी ‘प्रिविलेज्ड वसीयत' का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत सक्रिय सेवा या जोखिम वाले स्थानों पर तैनाती के दौरान अपनी हस्तलिखित या मौखिक रूप से निर्देशित वसीयत बना सकते हैं।