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फोन में ना देखें इस टाइप का पोर्न वीडियो, वरना घर से उठा ले जाएगी पुलिस!

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 08 Apr, 2025 09:58 PM

don t watch this type of porn video on your phone

आज के समय में मोबाइल फोन और इंटरनेट ने जिंदगी को जितना आसान बनाया है उतना ही खतरनाक भी। कुछ सेकेंड में कोई भी जानकारी मिल जाती है। लेकिन इस सुविधा का गलत इस्तेमाल कई बार लोगों को भारी पड़ सकता है।

नेशनल डेस्क: आज के समय में मोबाइल फोन और इंटरनेट ने जिंदगी को जितना आसान बनाया है उतना ही खतरनाक भी। कुछ सेकेंड में कोई भी जानकारी मिल जाती है। लेकिन इस सुविधा का गलत इस्तेमाल कई बार लोगों को भारी पड़ सकता है। इंटरनेट पर मौजूद हर कंटेंट सुरक्षित या वैध नहीं होता। खासकर जब बात आती है पोर्नोग्राफी और बच्चों से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्री की। अगर कोई व्यक्ति अपने ही घर में चाइल्ड पोर्न से जुड़ा कंटेंट देखता या सर्च करता है तो वो भी अपराध के दायरे में आता है और पुलिस बिना किसी वारंट के भी कार्रवाई कर सकती है।

चाइल्ड पोर्न देखना सिर्फ गुनाह नहीं, बड़ा अपराध

भारत में पोर्नोग्राफी देखना अपराध की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना, सर्कुलेट करना या बनाना गंभीर अपराध है। इसे लेकर भारत के कानून बेहद सख्त हैं। अगर कोई व्यक्ति अकेले में भी ऐसा वीडियो देखता है तो भी कानून के मुताबिक वह POCSO एक्ट और IT एक्ट के तहत दोषी माना जाएगा और उस पर कार्रवाई हो सकती है।

क्या कहते हैं कानून?

  1. इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 का सेक्शन 67 कहता है कि अश्लील सामग्री का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में वितरण, प्रकाशन या ट्रांसमिशन अपराध है।

  2. ऐसे मामलों में 3 से 5 साल तक की जेल और भारी जुर्माना लग सकता है।

  3. POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत बच्चों के खिलाफ किसी भी तरह की यौन हिंसा या उसका प्रचार-प्रसार, यहां तक कि उसे देखना भी दंडनीय है।

  4. सुप्रीम कोर्ट भी यह साफ कर चुका है कि अगर कोई अपनी निजी पसंद के तहत भी चाइल्ड पोर्न देखता है तो उसे अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा।

‘चाइल्ड पोर्न’ नहीं, इसे कहें ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूसिव मटेरियल’

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्देश में कहा था कि ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ शब्द के बजाय ‘चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉएटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल’शब्द का इस्तेमाल किया जाए। इसका उद्देश्य है कि यह साफ हो सके कि यह कोई सामान्य या मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि बच्चों के खिलाफ यौन शोषण से जुड़ा गंभीर अपराध है।

आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी रहती है ट्रैक

आप भले ही सोचते हों कि आप जो कुछ भी अपने मोबाइल या लैपटॉप पर देख रहे हैं वो प्राइवेट है, लेकिन हकीकत में आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी ट्रैक की जाती है। अगर आप किसी भी तरह की संदिग्ध वेबसाइट या वीडियो पर जाते हैं तो उसकी जानकारी सीधे साइबर सेल या पुलिस तक पहुंच सकती है। कई बार गूगल, फेसबुक और यूट्यूब जैसी कंपनियां भी ऐसे मामलों में सरकार को सहयोग करती हैं।

पुलिस ऐसे मामलों में सीधे एक्शन ले सकती है

अगर कोई व्यक्ति अपने मोबाइल या कंप्यूटर में ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता है या उसे सर्च करता है तो पुलिस बिना किसी वारंट के भी कार्रवाई कर सकती है। कई बार पुलिस IP एड्रेस और सर्वर लोकेशन के जरिए ऐसे लोगों की पहचान कर लेती है और फिर डिजिटल फॉरेंसिक जांच के जरिए सबूत जुटाकर गिरफ्तारी की जाती है।

शेयर करना सबसे बड़ा खतरा

अगर आपने किसी को गलती से भी ऐसा कोई वीडियो या फोटो भेज दिया तो आपकी परेशानी और बढ़ सकती है। कानून में इसे ‘साइबर क्राइम और बाल शोषण’ की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में सिर्फ देखने वाले ही नहीं, फॉरवर्ड करने वाले और रिसीव करने वाले भी दोषी माने जाएंगे।

युवाओं में बढ़ रहा है पोर्न एडिक्शन

विशेषज्ञों के अनुसार, युवा पीढ़ी में पोर्न देखने की लत तेजी से बढ़ रही है। इससे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। बहुत से युवाओं को यह अंदाजा भी नहीं होता कि वे जो देख रहे हैं वह कानूनी तौर पर प्रतिबंधित है या नहीं। इसीलिए यह जरूरी है कि शिक्षा और जागरूकता के जरिए सही जानकारी दी जाए।

क्या करें, क्या न करें

  • किसी भी हालत में चाइल्ड पोर्न से जुड़े किसी भी कंटेंट को न देखें, न सर्च करें, न शेयर करें।

  • अगर गलती से ऐसा कुछ आपके पास आ गया है तो उसे तुरंत डिलीट कर दें और किसी को फॉरवर्ड न करें।

  • संदिग्ध वेबसाइटों या ऐप्स से दूरी बनाए रखें।

  • बच्चों को इंटरनेट के सही इस्तेमाल की शिक्षा दें और गाइड करें।

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