Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 25 Apr, 2025 01:04 PM
हर इंसान कभी न कभी खजाने के मिलने का सपना जरूर देखता है। लेकिन तुर्की में एक ऐसी घटना घटी है जो किसी रोमांचक फिल्म से कम नहीं। यहां एक पुरानी इमारत की नींव की खुदाई में ऐसा खजाना मिला जिसने न सिर्फ इतिहासकारों को हैरान कर दिया बल्कि सोने की चमक ने...
इंटरनेशलन डेस्क: हर इंसान कभी न कभी खजाने के मिलने का सपना जरूर देखता है। लेकिन तुर्की में एक ऐसी घटना घटी है जो किसी रोमांचक फिल्म से कम नहीं। यहां एक पुरानी इमारत की नींव की खुदाई में ऐसा खजाना मिला जिसने न सिर्फ इतिहासकारों को हैरान कर दिया बल्कि सोने की चमक ने सभी की आंखें चौंधिया दीं। खुदाई कर रही मिशिगन यूनिवर्सिटी की टीम को हजारों साल पुराने सोने के सिक्कों से भरा एक बर्तन मिला है। यह ऐतिहासिक खोज तुर्की के नोशन शहर में हुई है, जो कभी यूनानी और फारसी सेनाओं के बीच टकराव का प्रमुख केंद्र रहा था।
कैसे हुआ खजाने का खुलासा?
दरअसल, मिशिगन यूनिवर्सिटी की एक पुरातत्व टीम नोशन में एक सामान्य रिसर्च खुदाई कर रही थी। यह खुदाई एक खंडहरनुमा मकान की नींव में की जा रही थी। लेकिन जैसे ही खुदाई थोड़ी गहराई तक पहुंची, मिट्टी के अंदर एक बर्तन दिखाई दिया। बर्तन को बाहर निकालने पर टीम की आंखें उस समय खुली की खुली रह गईं जब उसमें हजारों साल पुराने सोने के सिक्के भरे हुए मिले। रिसर्चर्स के अनुसार, यह बर्तन किसी मकान के कोने में छुपाया गया था जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का था। लेकिन जो सिक्के इसमें थे, वे और भी पुराने—संभवत: 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के हैं।
सिक्कों पर धनुर्धर की छवि
इन प्राचीन सिक्कों को देखकर इतिहासकारों की उत्सुकता और बढ़ गई। इन पर एक घुटने टेककर धनुष ताने हुए धनुर्धर की आकृति बनी हुई है, जो इन सिक्कों की ऐतिहासिक और कलात्मक विशेषता को दर्शाता है। इतिहासकार बताते हैं कि ये सिक्के उस दौर की ‘डेरिक करेंसी’ थे, जो प्राचीन फारसी साम्राज्य में इस्तेमाल होती थी। एक डेरिक की कीमत इतनी होती थी कि उससे एक सैनिक का पूरा महीने का वेतन दिया जा सकता था। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बर्तन में छुपा यह खजाना कितना कीमती रहा होगा।
खजाने के पीछे छुपा संघर्ष का इतिहास
नोशन शहर कभी यूनानी और फारसी सेनाओं के संघर्ष का केंद्र रहा है। 430 से 427 ईसा पूर्व के बीच यहां भयंकर युद्ध हुए थे। इतिहासकारों का मानना है कि इसी हिंसा और असुरक्षा के माहौल में किसी व्यक्ति ने यह खजाना छिपा दिया होगा ताकि बाद में इसे वापस निकाला जा सके। लेकिन शायद वह व्यक्ति फिर कभी लौट नहीं सका, और यह बर्तन सदियों तक मिट्टी में दबा रह गया।
पुरातत्वविदों की प्रतिक्रिया
इस ऐतिहासिक खोज को लेकर पुरातत्वविद क्रिस्टोफर रैटे ने कहा कि – "इतने प्राचीन और सुरक्षित खजाने का मिलना बहुत ही दुर्लभ है। आमतौर पर लोग खजाना दोबारा हासिल करने की नीयत से ही छुपाते हैं। लेकिन जब वो लौट नहीं पाते तो इतिहास के पन्नों में ऐसे रहस्य दब जाते हैं।"