Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 15 Apr, 2025 03:19 PM
क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन नीले समुंदरों का रंग बदलकर बैंगनी हो सकता है? यह कोई कल्पना नहीं बल्कि जापानी वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च का नतीजा है। उनके मुताबिक, समुद्रों का रंग हमेशा से एक जैसा नहीं रहा
इंटरनेशनल डेस्क: क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन नीले समुंदरों का रंग बदलकर बैंगनी हो सकता है? यह कोई कल्पना नहीं बल्कि जापानी वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च का नतीजा है। उनके मुताबिक, समुद्रों का रंग हमेशा से एक जैसा नहीं रहा और आगे भी नहीं रहेगा। इस रिपोर्ट में जानते हैं कि समुद्रों का रंग क्यों और कैसे बदलता है, और आखिर क्यों भविष्य में समंदर बैंगनी हो सकते हैं। अधिकतर लोग यही मानते हैं कि समंदर का रंग नीला होता है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ये रंग हमेशा से नीला नहीं था। एक नई स्टडी के मुताबिक, समुद्रों का रंग पिछले 60 करोड़ सालों से ही नीला रहा है। उससे पहले इसके रंग कुछ और ही हुआ करते थे। और अब यह दावा किया जा रहा है कि आगे चलकर इसका रंग बैंगनी हो सकता है।
रंग तय होता है समुद्र के रसायन और जीवों से
शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि समुद्रों का रंग स्थायी नहीं होता। यह पूरी तरह समुद्र में मौजूद रसायनों और उसमें रहने वाले जीवों पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे समुद्र के अंदर के रसायन बदलते हैं और जीवन की प्रकृति बदलती है, वैसे-वैसे उसका रंग भी बदलता रहता है। उदाहरण के तौर पर जब समुद्र में ज्वालामुखी गतिविधियां ज्यादा होती हैं और वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है तो समुद्र में सल्फर की मात्रा बढ़ जाती है। इससे ऐसे बैक्टीरिया बनने लगते हैं जो बैंगनी रंग के होते हैं। जब इनकी संख्या बढ़ेगी तो समंदर भी बैंगनी दिखने लगेंगे।
ज्वालामुखियों का सीधा असर
जापान के शोधकर्ताओं ने यह नतीजा ज्वालामुखियों के अध्ययन के बाद निकाला है। उन्होंने जापान के ज्वालामुखीय द्वीपों की गहराई से पड़ताल की और पाया कि इन इलाकों में समुद्र के रंग पर ज्वालामुखी गतिविधियों का असर पड़ता है। यही नहीं उन्होंने यह भी देखा कि जब वायुमंडल में ऑक्सीजन घटती है और ज्वालामुखी सक्रिय होते हैं तो समुद्र में रसायनों का संतुलन पूरी तरह बदल जाता है।
कब होंगे समुंदर लाल या हरे?
इस स्टडी में सिर्फ बैंगनी समंदरों का ही जिक्र नहीं किया गया बल्कि यह भी बताया गया है कि किन स्थितियों में समुद्र का रंग लाल या हरा भी हो सकता है।
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लाल समुंदर: जब समुद्र के पास मौजूद चट्टानों से लोहे की लाल ऑक्साइड (Iron Oxide) बनती है और वह समुद्र में जाकर मिलती है तो समुद्र का रंग लाल हो सकता है। इसके अलावा लाल शैवाल भी समुद्र को लाल बना सकते हैं। यह स्थिति तब पैदा होती है जब पानी में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक हो जाती है।
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हरे समुंदर: समुद्र में जब शैवाल की संख्या बढ़ती है और उसमें मौजूद सूक्ष्म जीव (प्लवक) बहुतायत में होते हैं तो समुद्र का रंग हरा हो जाता है। कुछ क्षेत्रों में ऐसा प्राकृतिक रूप से होता है।
क्यों जरूरी है इस बदलाव को समझना?
समुद्र के रंग में बदलाव केवल दृश्य परिवर्तन नहीं है, यह पर्यावरण में हो रहे बड़े बदलावों का संकेत भी होता है। समुद्र के अंदर के रासायनिक और जैविक परिवर्तनों से समुद्री जीवन, खाद्य श्रृंखला और पूरी पारिस्थितिकी पर असर पड़ सकता है। यदि भविष्य में समुद्र बैंगनी हो जाते हैं तो यह संकेत होगा कि हमारी पृथ्वी के वातावरण और समुद्रों में बड़ा परिवर्तन हो रहा है। यह शोध वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय जोखिमों को समझने में मदद कर सकता है।