Edited By Mahima,Updated: 18 Feb, 2025 09:56 AM
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सदगुरु ने "परीक्षा पर चर्चा" में छात्रों को मानसिक संतुलन बनाए रखने, तनाव को नियंत्रित करने और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि पाठ्यपुस्तकों को खेल की तरह समझकर पढ़ाई करना चाहिए और ध्यान व...
नेशनल डेस्क: देशभर में आयोजित किए जा रहे लोकप्रिय कार्यक्रम "परीक्षा पर चर्चा" के पांचवें एपिसोड में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सदगुरु ने छात्रों को परीक्षा की तैयारी और जीवन के अन्य पहलुओं को लेकर गहरे और प्रेरणादायक विचार दिए। इस कार्यक्रम में छात्रों को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहने के उपायों के बारे में बताया गया, ताकि वे परीक्षा के दौरान तनाव मुक्त होकर अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन कर सकें।
स्मार्टफोन से भी स्मार्ट बनने का मंत्र
सदगुरु ने छात्रों से कहा कि वे अपने स्मार्टफोन से भी ज्यादा स्मार्ट बन सकते हैं। उन्होंने छात्रों को बताया कि अगर वे अपने स्मार्टफोन से ज्यादा स्मार्ट बनते हैं, तो वे बिना किसी विघ्न के पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्टफोन जैसे आधुनिक उपकरणों से ध्यान भटकने के बजाय उनका उपयोग सिर्फ जरूरी जानकारी के लिए करना चाहिए। उन्होंने यह उदाहरण दिया कि स्मार्टफोन का प्रयोग केवल मनोरंजन या व्यर्थ समय बर्बाद करने के लिए नहीं करना चाहिए, बल्कि यह आपके ज्ञान को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करना कितना महत्वपूर्ण
सदगुरु ने इस दौरान छात्रों को यह भी समझाया कि तनाव और मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब तक आप अपनी मानसिक स्थिति को स्थिर नहीं रखते, तब तक आप सही तरीके से पढ़ाई नहीं कर सकते। उन्होंने छात्रों से कहा, “यदि आप तनाव में हैं, तो इसका मतलब है कि आपका मस्तिष्क ठीक से काम नहीं कर रहा है, जैसे शरीर के लिए तेल जरूरी होता है, वैसे ही दिमाग के लिए भी शांति और संतुलन आवश्यक है। तनाव को नियंत्रित करने के लिए आप अपनी मानसिक स्थिति को सशक्त बना सकते हैं।” सदगुरु ने सुझाव दिया कि छात्रों को चिंता नहीं करनी चाहिए, यदि वे समय से पहले अपना सिलेबस पूरा नहीं कर पाए हैं। उन्होंने बताया कि जब तक आप शांत और संतुलित रहते हैं, तब तक आप किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। यह सही सोच और आत्मविश्वास की बात है, न कि सिर्फ समय की।
पाठ्यपुस्तकों को खेल की तरह अपनाएं
पाठ्यपुस्तकों को लेकर सदगुरु ने छात्रों को बहुत ही प्रेरक बात कही। उन्होंने कहा, “पाठ्यपुस्तकें कोई बड़ी चुनौती नहीं हैं, आप इसे खेल की तरह समझकर पढ़ाई कर सकते हैं। जब आप शिक्षा को सिर्फ एक बोझ समझेंगे, तब ही यह चुनौती बनेगी। अगर आप इसे रोचक तरीके से सीखने की कोशिश करेंगे, तो यह कभी भी चुनौती नहीं बनेगी।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जीवन के हर पहलू को शैक्षिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए, जैसे कि आप घास, मोटरसाइकिल, या अपने आस-पास के दूसरे सामान्य चीजों को देखकर भौतिकी, गणित या रसायन विज्ञान की अवधारणाओं को समझ सकते हैं। इस तरह से, यह सब कुछ अधिक आसान और दिलचस्प बन जाएगा।
बताया ध्यान और शारीरिक व्यायाम का महत्व
सदगुरु ने ध्यान और शारीरिक व्यायाम की महत्वता पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को बताया कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक व्यायाम और ध्यान दोनों जरूरी हैं। उन्होंने विशेष रूप से ‘शाम्भवी महामुद्रा’ का अभ्यास करने की सलाह दी, जिससे मस्तिष्क के एक बड़े हिस्से को सक्रिय किया जा सकता है। ऐसा करने से छात्रों की सोचने की क्षमता और दिमागी चैतन्यता बढ़ सकती है।सदगुरु ने कहा, "जब आपका शरीर अच्छी तरह से व्यायाम करता है और आपका दिमाग भी सक्रिय रहता है, तो आप अपनी पढ़ाई में भी बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। यह सिर्फ बौद्धिक काम नहीं है, बल्कि शारीरिक और मानसिक संतुलन का भी खेल है।"
सभी में विशेष प्रतिभा है
अंत में, सदगुरु ने कहा कि हर किसी में विशेष प्रतिभा है और कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से कम नहीं है। उन्होंने कहा, “आप अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से वो सब कुछ हासिल कर सकते हैं, जिसे दूसरे लोग असंभव मानते हैं।” यह दुनिया में फैलाए गए भ्रम को तोड़ते हुए, उन्होंने छात्रों को बताया कि अगर वे अपनी पूरी मेहनत और समर्पण से काम करेंगे, तो वे वो कर सकते हैं जो अन्य लोग सोच भी नहीं सकते।